Manu Bhaker एक ऐसी शानदार शूटर के बारे हैं जिन्होंने अपनी उम्र से कई ज्यादा उपलब्धियां हासिल की है और जिन्होंने हाल ही में शूटिंग में भारत को ओलंपिक मेडल दिलाने वाली पहली महिला खिलाड़ी बनी है |
Manu Bhaker Biography
उन्होंने अपने शूटिंग करियर में कई रिकॉर्ड बनाए और कई अवार्ड भी जीते हैं हालांकि इनके शूटिंग करियर की शुरुआत कुछ खास नहीं थी शुरुआत में बॉक्सिंग मार्शल आर्ट और स्केटिंग जैसे कई स्पोर्ट्स में अपना हाथ आजमाया यहां तक कि वह अपने शुरुआती दौर में क्रिकेटर भी बनना चाहती थी लेकिन अंत में शूटिंग को अपना जुनून बनाया और इसी में अपना करियर बनाने का फैसला किया ।
उनकी ट्रेनिंग और समर्पण का इंतजार यह हुआ कि आज वह देश के मशहूर शूटर्स में से एक है चलिए आज के इस पोस्ट में उनकी लाइफ जर्नी उनके स्ट्रगल और उनकी सक्सेस के बारे में विस्तार से बात करेंगे इसलिए बने रहिए हमारे साथ इस पोस्ट के अंत तक |
Manu Bhaker
18 फरवरी 2002 को गोरिया गांव जाजर हरियाणा में मनु का जन्म हुआ इन्होंने अपनी स्कूलिंग यूनिवर्सल पब्लिक सीनियर सेकेंडरी स्कूल जांजर से कंप्लीट की और 2021 में दिल्ली विश्व विद्यालय के लेडी श्रीराम कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस में ऑनर्स डिग्री हासिल की मनु का बचपन में शूटर बनने का कोई दूर-दूर तक इरादा नहीं था ।
वहीं मनु के पिता राम किशन उन्हें बॉक्सर बनाना चाहते थे क्योंकि मनु के बड़े भाई बॉक्सिंग करते थे इसलिए वह भी अपने पिता के कहने पर बॉक्सिंग करने लगी और नेशनल लेवल पर मेडल भी जीते एक दिन प्रैक्टिस करते वक्त मनू की आंख में इतनी जोर से चोट लग गई कि आंख बुरी तरह सूझ गई चोट लगने के बाद मनू ने बॉक्सिंग छोड़ने का मन बना लिया जिसमें उन्हें मां का भी पूरा सपोर्ट मिला उनकी मां ने भी मनु के पापा से साफ कह दिया कि जिस गेम में बेटी को चोट लगे वो गेम उसे नहीं खिलाएंगे उसके बाद मनू ने बॉक्सिंग छोड़ दी और मार्शल आर्ट्स में हाथ आजमाया |
हालांकि कुछ समय के बाद उन्हें लगा कि इस गेम में चीटिंग होती है इसलिए उन्होंने मार्शल आर्ट को भी छोड़ दिया आपको जानकर हैरानी होगी कि मनू ने बॉक्सिंग और मार्शल आर्ट छोड़ने के बाद आर्चरी टेनिस और स्केटिंग की प्रैक्टिस भी शुरू की और कई मेडल भी जीते इसके अलावा शूटिंग की दुनिया में आने से पहले वह क्रिकेटर भी बनना चाहती थी।
उन्होंने वीरेंद्र सेवा की कोचिंग स्कूल भी जवाइन कर ली थी ,लेकिन किसी भी गेम में उनका मन नहीं लगा अब तक मनू कई गेम में हाथ आजमा चुकी थी लेकिन उन्हें लाइफ में कुछ समझ नहीं आ रहा था उनकी मां जिस यूनिवर्सल स्कूल में टीचर थी वहां शूटिंग रेंज भी है इसलिए उनकी मां ने मनु के पापा के साथ शूटिंग रेंज भेजा |
Manu Bhaker Shooting Carrer
वहा Manu Bhaker ने पहला ही शोट ऐसा मारा था कि फिजिकल टीचर अनिल जाखड़ ने उनका हुनर पहचान लिया उन्होंने मनू की मां से कहा कि मनू को इस गेम में टाइम देने दीजिए यह एक दिन देश के लिए मेडल लाएगी मनू की मां चाहती थी कि बेटी डॉक्टर बने क्योंकि घर में कोई डॉक्टर नहीं था ।
वोह कहती है कि मनु पढ़ने में होशियार रही खास तौर से बायोलॉजी में बहुत स्ट्रांग थी मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी के लिए उसने कोटा में कोचिंग सेंटर भी देख लिया था तभी फिजिकल टीचर अनिल जाखड़ की एंट्री हुई उन्होंने मनु की मां से कहा कि डॉक्टर को कौन जानेगा अगर मनु देश के लिए मेडल जीतेगी तो पूरी दुनिया उसे जानेगी डॉक्टर सुमेदा यानी कि मनु की मां को फिजिकल टीचर की सलाह ठीक लगी और फिर यहीं से मनु की स्पोर्ट्स जर्नी शुरू हो गई |
Manu Bhaker Olympics
उस वक्त रियो ओलंपिक 2016 खत्म ही हुआ था और उसके एक हफ्ते के अंदर ही उन्होंने अपने पिता से शूटिंग पिस्टल लाने के लिए कह दिया अपनी बेटी की बात मानकर उन्होंने पिस्टल दिला भी दी जिसके एक साल के बाद ही मनू ने नेशनल लेवल पर मेडल जीता और शूटिंग फेडरेशन की जूनियर प्रोग्राम में सिलेक्ट हो गई ।
वहां पर इंटरनेशनल मेडलिस्ट जसपाल राणा का साथ मिल गया जो अपनी लाइफ में चार बार एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीत चुके थे और फिलहाल इस टाइम पर भी जसपाल राणा ही मनू के कोच है मनू ने सिर्फ 15 दिन की प्रैक्टिस की और महेंद्रगढ़ में हुए स्टेट कंपटीशन में हिस्सा लेने चली गई और वहां पर पहले ही कंपटीशन में गोल्ड मेडल जीत कर लौटी प्राइज मनी के तौर पर उन्हें 4500 भी मिले जिसे पाकर वह बेहद खुश हुई और उनके पेरेंट्स को भी लगा कि वह शूटिंग में अच्छा कर सकती है ।
मनु के पिता राम किशन बाकर बताते हैं कि शुरुआत में हमें पिस्टल के लाइसेंस के लिए बहुत मेहनत करने पड़े मनु इंटरनेशनल लेवल पर मेडल जीत रही थी फिर भी लाइसेंस रिन्यू कराने के लिए मुझे पुलिस और जिला प्रशासन के अधिकारियों के चक्कर काटने पड़ते थे |
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Manu Bhaker ISSF
अब जाकर शूटर्स के लाइसेंस बनाने के प्रोसेस में काफी सहूलियत हुई है 2018 में मनू ने इंटरनेशनल शूटिंग स्पोर्ट्स फेडरेशन यानी आईएसएसएफ में दो गोल जीते थे उन्होंने चैंपियनशिप में जिस पिस्टल से निशाना लगाया था उसका लाइसेंस हासिल करने के लिए मनु को ढाई महीने लगे थे।
आम तौर पर यह लाइसेंस खिलाड़ियों को एक हफ्ते के अंदर मिल जाता है शूटिंग शुरू करने के सिर्फ 3 साल बाद 2017 में मनू नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप में उतरी और उन्होंने ओलंपियन और वर्ल्ड नंबर 1 हिना सिद्धू को हरा दिया इसके साथ ही 10 मीटर एयर पिस्टल में 24,23 का स्कोर करके नया रिकॉर्ड भी बना दिया उन्होंने चैंपियनशिप में नौ गोल जीते जो आज भी नेशनल रिकॉर्ड है |
विकपीडिया के मुताबिक 2018 में Manu Bhaker ने कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड जीता तो उनके पिता को लगा कि अब बेटी को मेरी जरूरत है इसलिए उन्होंने नौकरी छोड़ दी ताकि वह मनु को अपनी लाइसेंस पिस्टल के साथ ट्रेनिंग के लिए ले जा सके दरअसल किसी भी नाबालिक को पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन में ट्रेवल के दौरान पिस्टल साथ ले जाना इल्लीगल है ये 2021 के टोक्यो ओलंपिक की बात है।
उस वक्त नंबर वन शूटर बनी रही Manu Bhaker, क्वालीफाइंग राउंड में उन्हें 55 मिनट में 44 शॉट लेने थे तभी उनकी पिस्टल खराब हो जाती है जिसकी वजह से वह 20 मिनट तक निशाना नहीं लगा पाई जब पिस्टल ठीक हुई तब भी वह सिर्फ 14 शॉट लगा पाई और फाइनल की रेस से बाहर हो गई जब मनु भारत लौटी तो इतनी उदास थी कि मां ने मनू की पिस्टल छुपा दी ताकि उस पर उसकी नजर ना पड़े और मनू दुखी ना हो |
मां सुमेदा कहती है कि मैं मनू का मैच नहीं देख पाई थी बाद में उसका वीडियो देखा तो बहुत दुख हुआ मुझे लगा कि जब मैं दुखी हो रही हूं तो उस वक्त मनु की क्या हालत हुई होगी टोक्यो ओलिंपिक में मेडल ना जीत पाने का असर मनु की शूटिंग पर भी दिखने लगा था एक वक्त ऐसा भी आया कि नेशनल टीम में जगह बनाने के लिए उन्हें स्ट्रगल करना पड़ा।
मां सुमेदा कहती है कि मनु बहुत हतास हो गई थी एक दिन उनसे बोली कि मैं विदेश जाकर फैशन डिजाइनिंग और मार्केटिंग मैनेजमेंट का कोर्स करना चाहती हूं मैंने भी हमी भर दी और मनू की पिस्टल अलमारी में रख दी लेकिन मनू को शूटिंग से बहुत प्यार है वो इसे ज्यादा दिनों तक दूर नहीं रह पाई व फिर से प्रैक्टिस करने लगी और कोच जसपाल राणा को दोबारा जॉइन कर लिया |
Manu Bhaker Paris Olympics 2024
इस बार ओलंपिक के लिए भारत के 21 शूटर्स ने क्वालीफाई किया है जिनमें मनु इकलौती शूटर है जो तीन इवेंट में हिस्सा लेगी टोक्यो ओलंपिक में भी मनू तीन इवेंट में उतरी थी लेकिन कोई मेडल नहीं जीत पाई ।
पेरिस जाने से पहले एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि मेरी तैयारी अच्छी है हर अथिलिट का सपना पोडियम फिनिश करने का होता है, मेरा भी यही सपना है कि तीन या दो नहीं कम से कम एक गोल तो लेकर आऊं और जो उसने कहा था वही वह हासिल भी कर रही है ।
दरअसल पेरिस ओलंपिक में मनू ने भारत को पहला मेडल दिला दिया है उन्होंने 10 मीटर एयर पिस्टल की वूमेंस कैटेगरी में ब्रोंज मेडल जीता है वो शूटिंग में ओलंपिक मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनी है उन्होंने फाइनल इवेंट में 22.7 पॉइंट्स लेकर तीसरा स्थान हासिल किया हालांकि मनु सिर्फ पॉइंट वन से सिल्वर मेडल लेने से चूक गई |
उन्होंने क्वालीफाइंग इवेंट में 600 में से 580 पॉइंट हासिल किए और 45 शूटर्स में से तीसरे नंबर पर रही दोस्तों जैसा कि हमने कुछ देर पहले बात की इनके पिता का नाम राम किशन भाकर है जो मर्चेंट नेवी में चीफ इंजीनियर थे वहीं उनकी मां सुमेदा भाकर स्कूल टीचर रही इनका एक बड़ा भाई भी है जिसका नाम अखिल है ।
मनु फिलहाल अनमैरिड है उनका भी शादी को लेकर कोई प्लान नहीं है मनु बाकर को कॉमनवेल्थ गेम्स में मेडल जीतने के बाद हरियाणा सरकार की ओर से उन्हें टूर्नामेंट जीतने पर काफी इनाम के रूप में पैसे मिलते हैं मनु भाकर को ओजीक्यू स्पांसर करता है वही उनके ट्रेनिंग से लेकर उनके टूर्नामेंट की ट्रेनिंग का खर्चा भी उठाता है।
मनु भारतीय सरकार की टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम का भी हिस्सा है इस स्कीम के तहत मनु भाकर पर पेरिस ओलंपिक के लिए 1.68 करोड़ खर्च किए गए हैं यह पैसा उनकी पिस्टल की सर्विसिंग एयर प्लेट्स और गोलियों पर खर्च हुआ है इसके अलावा जर्मनी में निजी कोच के साथ ट्रेनिंग के लिए भी पैसा दिया गया है |
Manu Bhaker Networth
कुछ मीडिया आर्टिकल में छपी जानकारी के अनुसार Manu Bhaker की Networth 12 करोड़ बताई गई है मानू फिलहाल अपनी फैमिली के साथ जाजर हरियाणा में ही रहती है इनके घर की कुछ तस्वीरें आप देख सकते हैं इनकी कार कलेक्शन की बात करें तो इनके पास एमजी ग्लोस्टर है |
Manu Bhaker Twitter Account : https://x.com/realmanubhaker?t=9ae_Fkr6PQ6ajILKT-RCow&s=09
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